Car Accessories Rules: आजकल हर कोई चाहता है कि उसकी गाड़ी दूसरों से अलग दिखे। कोई क्रोम लगवाता है, कोई रूफ लाइट, तो कोई टिंटेड शीशे। लेकिन सवाल ये उठता है कि जो एक्सेसरीज हम अपनी कार पर चढ़वा रहे हैं, वो कानूनन सही भी हैं या नहीं? अगर आप भी सोच रहे हैं कि अपनी गाड़ी को पर्सनल टच दें, तो पहले ये जान लीजिए कि कौन-सी Car Accessories कानूनी हैं और कौन-सी Car Accessories गैर-कानूनी हैं, वरना स्टाइल के चक्कर में चालान कट सकता है।
Car Accessories Rules
भारत में सड़क सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कार मॉडिफिकेशन और एक्सेसरीज को लेकर सख्त नियम बनाए हैं। मौजूदा कानून के मुताबिक अगर कोई एक्सेसरी गाड़ी की संरचना, सुरक्षा या प्रदूषण मानकों को प्रभावित करती है, तो वो बिना RTO की इजाजत के गैर-कानूनी मानी जाती है। यानी, Car Accessories कानूनी तभी मानी जाती है जब उससे गाड़ी की मूल संरचना या सेफ्टी फीचर्स में कोई दखल न हो।
कौन-सी Car Accessories कानूनी मानी जाती हैं
जिन चीजों से गाड़ी की स्टाइलिंग तो बेहतर होती है लेकिन सेफ्टी या ढांचे पर असर नहीं पड़ता, वो आमतौर पर कानूनी मानी जाती हैं। जैसे डोर वाइजर, सीट कवर, फ्लोर मैट्स, डैशबोर्ड डेकोरेशन, स्टीयरिंग कवर, कंपनी अप्रूव्ड मड फ्लैप्स जैसी एक्सेसरीज लगवाना आप बिना किसी डर के कर सकते हैं। Car Accessories कानूनी तभी मानी जाती हैं जब वो कंपनी से अप्रूव्ड या रोड सेफ्टी के दायरे में हों।
कुछ मामलों में हल्के टिंटेड विंडो ग्लास भी चल जाते हैं, लेकिन यह राज्य दर राज्य बदलता है। कहीं यह सख्ती से रोका जाता है, तो कहीं थोड़ी छूट मिलती है। इसी तरह, हेडलाइट बल्ब का वॉट्स बढ़ाना, टायर का थोड़ा चौड़ा साइज लगवाना या सिंपल स्पॉइलर लगवाना भी कुछ हद तक स्वीकार्य है, बशर्ते वो एक्सट्रीम न हों।
कौन-सी Car Accessories गैर-कानूनी हैं
अगर आप अपनी गाड़ी को किसी फिल्मी हीरो की स्टाइल में मॉडिफाय करवा रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। क्योंकि ज्यादा चमकदार लाइट्स, रूफ लाइट, फॉग लैंप, बुल बार या क्रैश गार्ड जैसी चीजें सीधे गैर-कानूनी की श्रेणी में आती हैं। अगर गाड़ी की बाहरी बनावट स्टॉक वर्जन से अलग दिखती है, तो पुलिस कभी भी चालान कर सकती है। Car Accessories गैर-कानूनी तब मानी जाती हैं जब वो गाड़ी की रोड सेफ्टी, पॉल्यूशन कंट्रोल या आरटीओ अप्रूवल से बाहर चली जाती हैं।
हॉर्न में बदलाव, अलॉय व्हील्स का डिजाइन चेंज, नीयॉन लाइटिंग, बहुत ऊँची स्पॉइलर, एक्स्ट्रा एग्जॉस्ट पंप जैसे मॉडिफिकेशन भी गैर-कानूनी माने जाते हैं। पुलिस ऐसी गाड़ियों पर खास नजर रखती है और RTO द्वारा अनुमति न होने पर भारी जुर्माना लगता है।
क्या आज की गाड़ियों में एक्सेसरीज की जरूरत रह गई है?
आजकल की कारें पहले से ही ढेरों फीचर्स और एक्सेसरीज के साथ आती हैं। टचस्क्रीन, रियर कैमरा, ऑटोमेटिक हेडलैंप, फैक्ट्री फिटेड अलॉय व्हील्स, और बेहतर सीटिंग की सुविधा अब बेस मॉडल में भी मिलने लगी है। ऐसे में Car Accessories कानूनी भी हो तो भी जरूरी नहीं है कि लगवाई ही जाए।
साथ ही, अगर आपने कोई एक्सेसरी लोकल मार्केट से लगवाई है और वो कंपनी अप्रूव्ड नहीं है, तो कई बार कंपनी आपकी गाड़ी की वॉरंटी तक रद्द कर सकती है। इसलिए हर एक्सेसरी लगाने से पहले दो बार सोचिए कि क्या वाकई जरूरत है?
अगर बदलाव जरूरी हो तो क्या करें
मान लीजिए आपको लगता है कि गाड़ी में कुछ और सुविधा होनी चाहिए, जैसे ड्यूल कैमरा, साउंड सिस्टम या GPS ट्रैकर—तो ऐसे में सबसे बढ़िया तरीका यह है कि आप अपने नजदीकी आरटीओ में जानकारी लें और बदलाव की अनुमति लें। अनुमति मिलने के बाद ही बदलाव कराएं, वो भी प्रमाणित और ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के जरिए।
Car Accessories कानूनी तभी बनती हैं जब उनका इस्तेमाल सुरक्षित और नियमों के तहत हो। साथ ही, आपके द्वारा लगवाए गए प्रोडक्ट्स BIS या कंपनी अप्रूवल से पास होने चाहिए। इससे आपको न सिर्फ चालान से बचाव होगा, बल्कि गाड़ी की सेफ्टी और लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस भी बनी रहेगी।
गाड़ी को पर्सनल टच देना सबका हक है, लेकिन कानून के दायरे में रहकर। Car Accessories कानूनी हैं या गैर-कानूनी, यह जानना आज हर ड्राइवर के लिए जरूरी हो गया है। थोड़ी सी लापरवाही, स्टाइलिंग की चाहत में भारी भरकम जुर्माना या वॉरंटी नुकसान में बदल सकती है। तो अगली बार जब भी आप गाड़ी में कुछ नया लगवाने की सोचें, पहले नियमों की परख जरूर कर लें। क्योंकि स्टाइल के साथ सुरक्षा और कानून का पालन भी ज़रूरी है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक गलत जानकारी या नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।