टैक्सी चलाने वालों के दिन अब फिरने वाले हैं! पहले जहां हर राइड पर कमीशन कटता था, अब ओला ने कुछ ऐसा प्लान पेश किया है जो ड्राइवरों को सीधे-सीधे फायदा देगा। जी हां, Ola ने अब टैक्सी चालकों के लिए zero commission model लॉन्च कर दिया है, जिससे वो अब अपनी पूरी कमाई अपने पास रख सकेंगे।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच ओला की नई चाल
देशभर में टैक्सी सर्विस को लेकर मुकाबला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। Rapido और Namma Yatri जैसे नए खिलाड़ी Software-as-a-Service यानी SaaS मॉडल के ज़रिए मार्केट में तहलका मचा रहे हैं। इनका सीधा फॉर्मूला है – एक फिक्स रकम दो और कमाई 100% अपनी रखो। ऐसे में Ola ने भी गेम में बने रहने के लिए अपने कैब सेगमेंट में zero commission model लागू कर दिया है।
पहले यह मॉडल Ola और Uber ने अपने ऑटो सेगमेंट में लागू किया था। Uber ने इसे साल की शुरुआत में उतारा और Ola ने अप्रैल 2024 में। अब इसे कैब पर लागू करना, ड्राइवरों को जोड़े रखने और उन्हें दूसरी कंपनियों में जाने से रोकने की एक ज़बरदस्त कोशिश मानी जा रही है।
ड्राइवरों को सीधा फायदा: पूरी कमाई, बिना कटौती
अब ड्राइवरों को हर राइड के बाद यह डर नहीं रहेगा कि कितनी कटौती होगी। Ola का नया subscription model उन्हें ₹67 प्रति दिन के हिसाब से 30 दिन का पास देता है। मतलब, दिन में जितनी मर्ज़ी राइड करो, कोई कमीशन नहीं कटेगा। इससे न सिर्फ ड्राइवरों की कमाई बढ़ेगी, बल्कि राइड कैंसिलेशन और बार-बार ऐप से बाहर होने जैसी परेशानियाँ भी कम होंगी।
Primus Partners के वाइस प्रेसिडेंट निखिल ढाका ने बताया, “ये मॉडल ड्राइवरों के लिए बड़ा फायदेमंद है। उन्हें अब तय पता होगा कि दिन का कितना खर्च है, और बाकी सब उनकी जेब में जाएगा। इससे मनोबल भी बढ़ेगा और काम में स्थिरता भी आएगी।”
ग्राहकों पर असर? अभी कुछ कहना जल्दी होगा
हालांकि ड्राइवरों के लिए यह मॉडल फायदेमंद है, लेकिन ग्राहकों के लिए इसका क्या असर पड़ेगा, ये अभी साफ नहीं है। एक ओर जहां ड्राइवर ज़्यादा मोटिवेटेड होंगे, वहीं दूसरी ओर ग्राहक अनुभव पर इसका क्या असर होगा, ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।
क्योंकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर सब्सक्रिप्शन के चलते ज़्यादा ड्राइवर जुड़ते हैं, तो ग्राहकों को कम वेट टाइम मिलेगा। लेकिन अगर ड्राइवर सिर्फ हाई-फेयर राइड्स ही चुनें, तो कम दूरी या छोटे रूट वालों को परेशानी हो सकती है।
GST पर दिखेगा असर या नहीं? नियमों पर बहस शुरू
अब इस नए subscription model ने टैक्स व्यवस्था में भी एक नई बहस छेड़ दी है। अभी तक Ola और Uber जैसी कंपनियों को एग्रीगेटर के तौर पर राइड्स पर 5% GST देना होता था। लेकिन Namma Yatri को कर्नाटक AAR से GST में छूट मिल चुकी है क्योंकि वह वर्कर्स एसोसिएशन से जुड़ी SaaS आधारित सेवा है।
अब जब Ola भी ऐसा ही मॉडल अपना रहा है, तो क्या उसे भी वही छूट मिलेगी? या फिर Rapido की तरह उसे GST देना पड़ेगा? इस सवाल पर पूरी टैक्सी इंडस्ट्री की नज़रें टिकी हुई हैं।
Aapti Institute की रिसर्चर सौजन्या श्रीधरन का कहना है, “अगर कुछ कंपनियों को छूट मिलती है और कुछ को नहीं, तो यह न सिर्फ टैक्स सिस्टम में असमानता लाएगा बल्कि फेयर कॉम्पिटीशन को भी प्रभावित करेगा।”
Uber भी कूदा मैदान में, मांगी स्पष्टता
पिछले साल Uber ने इस मुद्दे को कर्नाटक AAR और GST काउंसिल के सामने उठाया था। उनका कहना था कि अगर SaaS मॉडल को टैक्स से छूट दी जा रही है, तो पारंपरिक एग्रीगेटर मॉडल को क्यों नहीं? यह भेदभाव नियमों की अस्पष्टता और नीतियों में गड़बड़ी को उजागर करता है।
जैसे-जैसे और कंपनियाँ इस मॉडल को अपनाएंगी, यह विवाद और गहराएगा। टैक्सी इंडस्ट्री में ये बदलाव एक बड़ा मोड़ लाने वाला है और इसका असर लंबी दूरी तक महसूस किया जाएगा।
राइडिंग का रंग अब बदलेगा, ड्राइवर बोले – “अब मज़ा आएगा”
देश के अलग-अलग हिस्सों से टैक्सी ड्राइवर अब इस मॉडल पर खुशी जता रहे हैं। यूपी, बिहार, झारखंड से लेकर हरियाणा तक, ड्राइवरों की पहली प्रतिक्रिया यही है – “अब तो मेहनत की पूरी कीमत मिलेगी। कोई ऊपर से काट-छांट नहीं। जितनी सवारी, उतनी कमाई।”
कुछ लोग इसे ‘ड्राइवरों की आज़ादी का पैकेज’ बता रहे हैं, तो कुछ इसे ‘Ola की आखिरी बाज़ी’। जो भी हो, लेकिन इस नए zero commission model ने टैक्सी की स्टीयरिंग अब ड्राइवरों के हाथ में दे दी है।
अब देखना ये होगा कि बाकी कंपनियाँ भी इसी रास्ते पर चलती हैं या कुछ नया मोड़ लेती हैं। लेकिन फिलहाल तो Ola ने एक ऐसा पत्ता फेंका है, जिसने गेम की चाल ही पलट दी है।
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