जब भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों या हाई-टेक उपकरणों की बात होती है, तो एक चीज़ बार-बार सामने आती है—Rare Earth Magnets। ये चुम्बक दिखने में भले ही छोटे लगें, लेकिन इनका रोल बड़ी-बड़ी कार और मोबाइल कंपनियों के लिए बेहद अहम होता है। अब इस मोर्चे पर भारत को एक नई दिशा मिलती दिख रही है, जिससे चीन पर निर्भरता कम हो सकती है और कार कंपनियों की चिंता भी दूर हो सकती है।
अब Rare Earth Magnets की होगी विदेश से सप्लाई
भारत अभी तक Rare Earth Magnets के लिए चीन पर ही सबसे ज़्यादा निर्भर था। इलेक्ट्रिक कार, स्मार्टफोन, विंड टर्बाइन जैसे उपकरणों में इन मैग्नेट्स की भारी मांग होती है। लेकिन अब खबर यह है कि Rare Earth Magnets की सप्लाई के लिए भारत को एक नया साथी मिल गया है। अब भारत इन जरूरी चुम्बकों को चीन की जगह एक अन्य भरोसेमंद देश से मंगवाएगा। इससे भारतीय कार कंपनियों को बड़ी राहत मिल सकती है क्योंकि अभी तक चीन की मनमानी कीमतें और सप्लाई में रुकावट उन्हें नुकसान पहुंचा रही थीं।
चीन को झटका, भारत की नई रणनीति
चीन ने लंबे समय से Rare Earth Magnets की वैश्विक बाजार पर पकड़ बना रखी है। लेकिन अब भारत की रणनीति बदलती नजर आ रही है। भारत सरकार और घरेलू कंपनियाँ अब Rare Earth Magnets के लिए विकल्प तलाश रही हैं। माना जा रहा है कि अब जापान, वियतनाम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ साझेदारी हो सकती है, जहां इन मैग्नेट्स के खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके साथ ही भारत में भी इन तत्वों की खोज और प्रसंस्करण के प्रयास तेज़ हो गए हैं।
कार कंपनियों को मिलेगी बड़ी राहत
देश की बड़ी ऑटो कंपनियाँ जैसे Tata Motors, Mahindra, और Maruti Suzuki लंबे समय से Rare Earth Magnets की बढ़ती कीमतों और चीन पर निर्भरता से परेशान थीं। खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) के लिए इन मैग्नेट्स की जरूरत बहुत ज्यादा होती है। EVs में जो मोटर लगती है, वो इन्हीं Rare Earth Magnets से चलती है। अब अगर चीन की जगह भारत को वैकल्पिक स्रोत से यह मैग्नेट मिलने लगेगा, तो लागत भी घटेगी और प्रोडक्शन में रुकावट भी नहीं आएगी। इससे Tata Nexon EV, Mahindra XUV400 जैसे इलेक्ट्रिक मॉडल्स के दाम भी स्थिर रह सकते हैं।
Rare Earth Magnets के बिना अधूरी है इलेक्ट्रिक क्रांति
Rare Earth Magnets भले ही नाम में ‘रेयर’ हों, लेकिन इनकी जरूरत अब हर जगह है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों से लेकर डिफेंस सिस्टम, मोबाइल से लेकर MRI मशीन तक, सब कुछ इन्हीं मैग्नेट्स पर टिका है। खास बात ये है कि इन मैग्नेट्स के बिना जो मोटर बनती है, उसकी एफिशिएंसी कम होती है और वजन ज्यादा। यानी भारत में अगर इलेक्ट्रिक क्रांति को तेज़ करना है, तो Rare Earth Magnets की स्थायी सप्लाई जरूरी है। और यही वजह है कि भारत अब चीन के विकल्प खोजने में जुट गया है।
चीन से दूरी बनाने का है सही समय
ग्लोबल सप्लाई चेन में बार-बार रुकावट और चीन की टेढ़ी नीतियों के कारण दुनिया के कई देश अब उससे दूरी बनाने की सोच रहे हैं। भारत के लिए यह सही मौका है कि Rare Earth Magnets जैसी संवेदनशील और रणनीतिक चीजों के लिए वह आत्मनिर्भर बने या भरोसेमंद देशों के साथ साझेदारी करे। इससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
मसालेदार अपडेट – अब चीन नहीं, नया साथी देगा Rare Earth Magnets
जैसे ही Rare Earth Magnets की नई सप्लाई लाइन शुरू होगी, देसी ऑटो इंडस्ट्री में हलचल तेज़ हो जाएगी। अब जब Tata या Mahindra जैसी कंपनियों को चीन की मर्जी पर नहीं चलना पड़ेगा, तो नया भरोसा और नई ऊर्जा नजर आएगी। हो सकता है कल को बाजार में और सस्ते और भरोसेमंद EV मॉडल दिखें। और सिर्फ कार नहीं, मोबाइल, पंखे, टीवी, MRI मशीन – सब कुछ तेज़ी से और बेहतर क्वालिटी में तैयार हो सकेगा। अब भारत Rare Earth Magnets के मामले में भी नई क्रांति की ओर बढ़ चला है।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।