अब आएगा मजा, EV सेक्टर को मिलेगा बड़ा बूस्ट, सरकार ने लॉन्च कर दिया ऑनलाइन पोर्ट

देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर को लेकर अब बड़ा धमाका होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने EV मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए जो नई योजना पेश की है, वह देसी और विदेशी दोनों कंपनियों को सीधा फायदा देने वाली है। अब EV सेक्टर में निवेश करने वालों को सिर्फ कम टैक्स ही नहीं मिलेगा, बल्कि अपने इलेक्ट्रिक पैसेंजर गाड़ियों को भारत में बेचने का सुनहरा मौका भी मिलेगा। सरकार की इस नई पहल के बाद भारत में EV का बाजार और गर्म हो गया है।

EV सेक्टर को मिलेगा बड़ा बूस्ट
केंद्र सरकार ने 24 जून 2025 को एक बड़ा कदम उठाते हुए Heavy Industries Ministry के माध्यम से EV सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है। यह पोर्टल उन कंपनियों के लिए है जो भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर गाड़ियों के निर्माण में भाग लेना चाहती हैं। सरकार की यह योजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूती देने के इरादे से शुरू की गई है। इस पोर्टल के जरिए कंपनियां SPMEPCI (Scheme for Promotion of Manufacturing of Electric Passenger Cars in India) योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकेंगी।

EV सेक्टर की इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत को वैश्विक EV मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। Heavy Industries Minister एच.डी. कुमारस्वामी ने बताया कि यह योजना देश में इनोवेशन और स्थायी विकास को प्रोत्साहित करेगी, जिससे न केवल रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, बल्कि देश के अंदर टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी।

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EV कंपनियों को मिलेगा इन्वेस्टमेंट का फायदा
इस योजना के तहत सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो भी कंपनी इस योजना का लाभ उठाना चाहती है, उसे भारत में कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश करना होगा। इसके बदले उन्हें सालाना अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारें आयात करने की अनुमति मिलेगी। इन पर इंपोर्ट ड्यूटी सिर्फ 15% तक सीमित रहेगी, जो मौजूदा नियमों की तुलना में बेहद कम है। लेकिन ये इलेक्ट्रिक कारें 30 लाख रुपए या उससे अधिक कीमत वाली होनी चाहिए। यानी सरकार प्रीमियम सेगमेंट की गाड़ियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

EV योजना में आवेदन की शर्तें क्या हैं?
जो भी कंपनियां EV सेक्टर में इस योजना के तहत आवेदन करना चाहती हैं, उनके लिए कुछ जरूरी शर्तें रखी गई हैं। कंपनी के ग्रुप का सालाना टर्नओवर ₹10,000 करोड़ से कम नहीं होना चाहिए। साथ ही कंपनी के फिक्स्ड एसेट्स में ₹3,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश होना चाहिए। इसके अलावा आवेदन की आखिरी तारीख 21 अक्टूबर 2025 रखी गई है और आवेदन प्रक्रिया 24 जून से ही शुरू हो चुकी है। इच्छुक कंपनियां spmepci.heavyindustries.gov.in पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकती हैं।

EV सेक्टर में कौन-कौनसी कंपनियां उतर सकती हैं?
बात करें संभावित दावेदारों की तो Mercedes-Benz, Kia Motors, Hyundai, Skoda और Volkswagen जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियां इस योजना में दिलचस्पी ले रही हैं। वहीं Tesla और BYD जैसी बड़ी EV कंपनियों की भारत को लेकर रणनीति अब तक साफ नहीं हो सकी है। हालांकि, वियतनाम की VinFast पहले से ही भारत में अपने प्लांट पर काम शुरू कर चुकी है। इस योजना से उम्मीद की जा रही है कि भारत में EV मैन्युफैक्चरिंग को तगड़ा बूस्ट मिलेगा और लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

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EV मैन्युफैक्चरिंग से होगा ग्रामीण और शहरी दोनों को फायदा
सरकार की इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि EV सेक्टर सिर्फ शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों तक भी पहुंचेगा। क्योंकि जैसे-जैसे भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण बढ़ेगा, वैसे-वैसे इनकी कीमतें भी धीरे-धीरे कम होंगी और गांव-कस्बों तक भी EV की पहुंच बन पाएगी। इससे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण को भी फायदा होगा।

देश में जब तक EV सेक्टर में इन्वेस्टमेंट और तकनीकी विकास नहीं होगा, तब तक विदेशों से गाड़ियाँ मंगवाने में सिर्फ पैसा और वक्त दोनों बर्बाद होता रहेगा। इस योजना के जरिए सरकार ने एक तरह से EV सेक्टर को नई जान देने का काम किया है।

केंद्र सरकार की EV सेक्टर को लेकर यह नई स्कीम वाकई गेम चेंजर साबित हो सकती है। इससे एक ओर देश में रोजगार और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर लोग पेट्रोल-डीजल के खर्च से राहत पा सकेंगे। आने वाले समय में जब देश में बनी इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ सड़कों पर दौड़ेंगी, तो वो दिन दूर नहीं जब भारत EV सेक्टर में दुनिया का अगुवा देश बन जाएगा। सरकार की इस सोच और पोर्टल लॉन्च जैसे कदम से साफ है कि अब EV क्रांति को कोई नहीं रोक सकता।

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यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से ली गई है।

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