देश की तकनीकी ताकत अब आसमान छू रही है। महिंद्रा ग्रुप की एक कंपनी को मिला ऐसा ऑर्डर, जिससे भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री में गूंज उठी है कामयाबी की गूंज। इस समझौते से ना सिर्फ Make in India को बूस्ट मिलेगा, बल्कि भारत Aircraft Parts Manufacturing में ग्लोबल प्लेयर के रूप में और मजबूत होगा।
Airbus और Embraer के लिए भारत में बनेंगे हाईटेक पुर्जे
महिंद्रा ग्रुप की महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को स्पेन की नामी कंपनी Aernnova ने 2586 करोड़ रुपये का ऑर्डर थमाया है। इस डील के तहत अब भारत में ही Airbus और Embraer जैसे दिग्गज विमानों के पार्ट्स तैयार होंगे। यानी अब एयरक्राफ्ट पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग इंडिया में एक नई ऊंचाई छूने जा रही है।
इस करार के मुताबिक, Mahindra Aerostructures अलग-अलग देशों जैसे स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल और ब्राजील में Aernnova को एयरक्राफ्ट पार्ट्स सप्लाई करेगी। कंपनी न केवल पुर्जे बनाएगी, बल्कि उन्हें असेंबल करके पूरी तरह तैयार भी करेगी।
पुराना रिश्ता, नया मुकाम – 2013 से साथ चल रही साझेदारी
महिंद्रा और Aernnova की दोस्ती कोई नई नहीं है। 2013 में इन दोनों के बीच पहली बार हाथ मिलाया गया था, और तभी से मिलकर काम कर रहे हैं। इस बार का सौदा पहले से बड़ा है और इसमें भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र को नई उड़ान देने की ताकत है। यह सौदा एक तरह से एयरक्राफ्ट पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग इंडिया की ग्लोबल ब्रांडिंग भी करेगा।
महिंद्रा की कंपनी MASPL यानी Mahindra Aerostructures Private Limited ने साल 2014 में कर्नाटक के कोलार में कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया था। तब से अब तक इसने कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को अपने हुनर से प्रभावित किया है।
Aernnova के CEO बोले – महिंद्रा पर पूरा भरोसा
इस डील पर Aernnova के CEO रिकार्डो चोकारो ने खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “महिंद्रा जैसी कंपनी के साथ काम करके हमें अपने प्लांट्स में प्रोडक्शन बढ़ाने का मजबूत आधार मिला है। Mahindra Aerostructures के पास जो तकनीकी कुशलता और हाई क्वालिटी इंजीनियरिंग क्षमता है, उस पर हमें पूरा भरोसा है।”
रिकार्डो की बातों से साफ है कि एयरक्राफ्ट पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग इंडिया अब सिर्फ सस्ते लेबर की बात नहीं रह गई है, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा को दुनिया सिर आंखों पर बैठा रही है।
महिंद्रा के MD बोले – यह विश्वास भारत की ताकत का सबूत
महिंद्रा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO अनीश शाह ने कहा, “Aernnova का हम पर भरोसा दिखाता है कि भारत की एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में कितना दम है। हम इस साझेदारी को और मजबूत करना चाहते हैं और ग्लोबल लेवल पर नए रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं।”
Airbus और Embraer के पुर्जे बनाना कोई आम बात नहीं है। ये वो कंपनियाँ हैं, जिनके विमान पूरी दुनिया में उड़ान भरते हैं। ऐसे में भारत की कंपनी का इनमें पार्ट्स सप्लाई करना, एक बड़ी जिम्मेदारी और बड़े गौरव की बात है।
भारत बना Aircraft Parts Manufacturing का नया ठिकाना
इस समझौते के बाद भारत एक बार फिर से यह साबित कर रहा है कि वह न सिर्फ आईटी और फार्मा का हब है, बल्कि अब एयरोस्पेस इंडस्ट्री का भी उभरता बादशाह बन रहा है। Aircraft Parts Manufacturing India जैसे कीवर्ड अब इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर तेजी से जगह बना रहे हैं।
महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर के CEO अरविंद मेहरा ने इस मौके पर कहा, “हम शुरुआत से ही Aernnova के साथ जुड़े हुए हैं। यह नया कॉन्ट्रैक्ट हमारे रिश्ते को और मजबूत करता है और भारत में एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग को नई दिशा देता है।”
Embraer C390 और Airbus – अब भारत में तैयार होंगे इनके खास पुर्जे
खास बात ये है कि महिंद्रा अब Embraer के C390 मिलेनियम जैसे सैन्य विमान और Airbus के अन्य मॉडल्स के लिए पुर्जे बनाएगी। यह एक तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और उच्च स्तर का काम है। ऐसे प्रोजेक्ट्स से भारत में नौकरियों की संभावना भी बढ़ेगी और स्किल्ड इंजीनियर्स को अपने टैलेंट दिखाने का मौका मिलेगा।
Airbus और Embraer जैसी कंपनियों से जुड़ाव का मतलब है कि भारत अब सिर्फ बाजार नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बन चुका है। यह समझौता भी इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
अब होगी भारत से टेकऑफ – वो भी पूरे जोर से
Aircraft Parts Manufacturing India अब एक ट्रेंडिंग टॉपिक बनता जा रहा है। पहले जो पुर्जे यूरोप या अमेरिका में बनते थे, अब वही काम भारत में भी भरोसे से हो रहा है। यह डील आने वाले समय में और कई ग्लोबल ऑर्डर्स की राह खोल सकती है।
जैसे-जैसे भारत तकनीकी रूप से और मज़बूत हो रहा है, वैसे-वैसे उसके हाथों में बड़ी जिम्मेदारियाँ और बड़े सौदे आ रहे हैं। महिंद्रा जैसी कंपनियाँ इस बदलाव की अगुवाई कर रही हैं, और Airbus तथा Embraer जैसे नामी ब्रांड भारत के हुनर पर भरोसा दिखा रहे हैं।
यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक किसी नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।