Second Hand Car Benifits: अगर आप नई चमचमाती कार का सपना देख रहे हैं, लेकिन बजट आड़े आ रहा है, तो घबराइए मत। आज के दौर में सेकंड हैंड कार के फायदे इतने बढ़ गए हैं कि आम आदमी के लिए ये सौदा समझदारी भरा भी है और जेब के लिए राहत वाला भी। गांव-देहात से लेकर छोटे शहरों तक, अब सेकंड हैंड कार लेना कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि चालाकी और दूरदर्शिता का काम है।
Second Hand Car Benifits
आजकल नई कार की कीमतें आसमान छू रही हैं। एक सामान्य नई कार लेने में कम से कम 5-6 लाख रुपये खर्च हो ही जाते हैं, वो भी बेस मॉडल में। ऐसे में सेकंड हैंड कार फायदे वाले विकल्प के रूप में तेजी से उभर रही है। इसमें न सिर्फ पैसे की बचत होती है बल्कि ग्राहक को तुरंत गाड़ी मिल भी जाती है, वो भी बिना लंबी वेटिंग के।
पैसों की बचत और ईएमआई से राहत
ज्यादातर लोग सेकंड हैंड कार इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसमें मोटी रकम की जरूरत नहीं होती। नई कार की तुलना में पुरानी कार काफी सस्ती मिल जाती है। मान लीजिए कोई कार जिसकी नई कीमत 6 लाख है, वही सेकंड हैंड मार्केट में 3 लाख में मिल रही है, तो यही आधी कीमत का फर्क ही आपके बजट को संवार सकता है। अगर आप फाइनेंस करवा रहे हैं, तो सेकंड हैंड कार के फायदे में यह भी आता है कि ईएमआई कम बनेगी, जिससे आपकी मासिक जेब ढीली नहीं होगी।
तुरंत मिलती है डिलिवरी, वेटिंग की झंझट नहीं
नई कार के लिए कई बार महीनों तक इंतजार करना पड़ता है, लेकिन सेकंड हैंड कार के मामले में ऐसा कुछ नहीं होता। आज पसंद की, कल ले आए। डीलरशिप से लेकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक अब सेकंड हैंड कार मिलना आसान हो गया है। ऐसे में सेकंड हैंड कार फायदे वाले ऑप्शन उन लोगों के लिए खास हैं, जो बिना इंतजार के अपने सपनों की सवारी करना चाहते हैं।
कम बजट में भी खूब ऑप्शन
आज की तारीख में Alto, WagonR, Swift, और Hyundai की i10 जैसी गाड़ियाँ सेकंड हैंड सेगमेंट में काफी डिमांड में हैं। ये कारें पहले ही कम मेंटेनेंस और शानदार माइलेज के लिए जानी जाती हैं। सेकंड हैंड में ये गाड़ियाँ आधी कीमत में भी मिल जाती हैं, जिससे सेकंड हैंड कार फायदे और भी बढ़ जाते हैं। आप कम बजट में भी 4-5 साल पुरानी अच्छी हालत वाली कार आराम से ले सकते हैं।
RC और पेपर्स सब फिट – कोई झंझट नहीं
अब जमाना बदल गया है। पहले सेकंड हैंड कार को लेकर यह डर बना रहता था कि कहीं पेपर्स में दिक्कत ना हो या कार चोरी की ना निकले। लेकिन अब बड़े-बड़े डीलर्स, वेबसाइट्स और कंपनियां पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही सेकंड हैंड कार बेचती हैं। गाड़ी की आरसी, इंश्योरेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट से लेकर सर्विस हिस्ट्री तक सबकुछ जांचा जाता है। इससे ग्राहक को भी भरोसा रहता है और सेकंड हैंड कार के फायदे असली मायनों में सामने आते हैं।
कम गिरावट वाली कीमत – दोहरा फायदा
नई कार जैसे ही शोरूम से निकलती है, उसकी कीमत में 10-20% तक की गिरावट आ जाती है। वहीं सेकंड हैंड कार की वैल्यू धीरे-धीरे गिरती है। मतलब आप अगर 3 लाख की कार लेते हैं और दो साल बाद उसे बेचते हैं तो आपको करीब-करीब वैसी ही कीमत मिल सकती है। ऐसे में आपकी गाड़ी पर नुकसान भी कम होता है और कुछ सालों तक बढ़िया उपयोग भी हो जाता है।
रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट और टेस्टिंग का मौका
कई बार लोग अपनी पहली गाड़ी सेकंड हैंड ही लेते हैं ताकि यह समझ सकें कि उनका चलाने का पैटर्न कैसा है, किस साइज की कार उनके लिए सही है, और उनके इलाके में कौन सी गाड़ी ज्यादा टिकाऊ है। ऐसे में सेकंड हैंड कार एक ट्रायल रन की तरह भी होती है। इससे आपको भविष्य में नई कार लेने से पहले सोचने का भरपूर मौका मिल जाता है।
अब समय आ गया है कि सेकंड हैंड को सेकंड क्लास समझने की सोच को अलविदा कहें। अगर थोड़ा समझदारी से देखें तो सेकंड हैंड कार के फायदे इतने हैं कि नई कार के सामने ये सौदा कहीं ज़्यादा सस्ता, समझदारी वाला और टिकाऊ बनता है। चाहे गांव की कच्ची सड़कों पर चलाना हो या शहर की भीड़भाड़ में घुसना हो, सेकंड हैंड गाड़ी हर कसौटी पर खरी उतरती है। स्टाइल, माइलेज और बजट – तीनों का जबरदस्त कॉम्बिनेशन चाहिए तो पुरानी गाड़ी का विकल्प हमेशा खुला है।
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